Detailed Notes on baglamukhi shabar mantra
Detailed Notes on baglamukhi shabar mantra
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तां खेचरां स्मेर-वदनां, भस्मालङ्कार-भूषिताम् । विश्व-व्यापक-तोयान्ते, पीत-पद्मोपरि-स्थिताम् ।।
चतुर्भुजां त्रि-नयनां, पीनोन्नत-पयोधराम् । जिह्वां खड्गं पान-पात्रं, गदां धारयन्तीं पराम् ।।
निधाय पादं हृदि वाम-पाणिनां, जिह्वां समुत्पाटन-कोप-संयुताम् ।
श्रीब्रह्मास्त्र कल्पोक्त सूर्य- मण्डल-स्थित श्रीबगला- मुखी का ध्यान
ॐ ह्रीं बगलामुखि! जगद्वशंकरी! मां बगले प्रसीद-प्रसीद मम सर्व मनोरथान पूरय-पूरय ह्रीं ॐ स्वाहा।
योगिनी-कोटि-सहितां, पीताहारोप-चञ्चलाम् ।
हेमाभाङ्ग-रुचिं शशाङ्क-मुकुटां स्रक्-चम्पक-स्र्ग -युताम्!
कालानल-निभां देवीं, ज्वलत् – पुञ्ज-शिरोरुहां। कोटि-बाहु-समायुक्तां, वैरि-जिह्वा-समन्वितां।।
प्रत्यालीढ-परां घोरां, मुण्ड-माला-विभूषिताम् । खर्वां लम्बोदरीं भीमां, पीताम्बर-परिच्छदाम् ।।
श्रीबगला-हृदयोक्त ध्यान ( पीताम्बरा ध्यान baglamukhi shabar mantra मंत्र )
एवं ध्यात्वा परेशानि! बगला-कवचं स्मरेत् ।।४ श्रीबगला-खड्ग-माला-स्तोत्रोक्त्त ध्यान
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सौवर्णासन-संस्थितां त्रि-नयनां पीतांशुकोल्लासिनीम्,